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शामलग्राम

गोपाल राजू की पुस्तक, “तंत्र के सरल उपाय” से
मानसश्री गोपाल राजू (वैज्ञाननक)
रुड़की (उत्तराखण्ड)
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गंडकी नदी नेपाल से एक ववशेष प्रकार का कंकड़ ममलता है। पौराणिक मान्यताओं के आधार पर इसको दैव रूप अथवा साक्षात् भगवान ववष्िु स्वरूप माना गया है। इस ददव्य ववग्रह के अनेकों रूप शास्त्रों में वणिित हैं - सुदशिन मशला, लक्ष्मी मशला, अतुल मशला, गिपनत मशला, वाराह मशला आदद। देखा जाए तो कुल ममलाकर 1000 से भी अधधक अलग-अलग नाम से ववग्रह ममल जाएंगे।
परन्तु इसका सवािधधक चधचित नाम है शामलग्राम, शालग्राम (Ammonite fossile) अथवा शामलग्राम मशला।
गरुि पुराि में वििन आता है कक ईश्वर सविव्यापी हैं परन्तु उनका सबसे वप्रय स्थल शामलग्राम मशला है ।
स्कंधपुराि के अनुसार शामलग्राम अपने में एक स्वयं मसद्ध ववग्रह है। इसके मलए ककसी भी प्रकार की अन्य देवी-देवताओं के ववग्रह, मूनति, वपण्ड आदद की तरह प्राि प्रनतष्ठा आदद की आवश्यकता नहीं है।
कहा गया है कक शामलग्राम के अपने ववमभन्न रंग, रूप आदद के कारि इसको अनेकों नाम से जाना जाता है। यथा गोपाल शामलग्राम, कृष्ि शामलग्राम, चक्रधर शामलग्राम, श्रीधर शामलग्राम आदद। इनके स्पशि मात्र से ही कोदि पापों का शमन हो जाता है।
पद्म पुराि के अनुसार देव, असुर और यक्ष का शामलग्राम में वास है। अध्यात्म में शामलग्राम को अत्यन्त पववत्र, देव तुल्य और सविमसवद्ध प्रदायक ववग्रह मानकर इसकी पूजा-अचिना का ववधान है।
तंत्र क्षेत्र में शामलग्राम का अनेक ग्रथों में उपयोग बताया गया है। यदद आस्था एवं ननयमानुसार शामलग्राम का उपयोग ककया जाए तो अनेकों प्रकार के सांसाररक कष्िों से मुक्तत ममलती है। इस ददव्य और गुप्त-सुप्त ववग्रह के कुछ उपाय पाठकों के लाभाथि दे रहा हूूँ, अपने बुवद्ध और वववेक से लाभ उठायें।
1. शामलग्राम के समीप हनुमान जी के मलए दीपदान करें, यह नाना प्रकार से भोग और लक्ष्मी जी की कृपा पाने का अचूक उपक्रम मसद्ध होगा।
2. शामलग्राम और श्रीयंत्र दोनों एक साथ अपनी पूजा में स्थावपत कर लें। समस्त ऋवद्ध और मसवद्ध प्राप्त करने के आपके अनेकों मागि प्रशस्त होंगे।
3. शामलग्राम पर 'ऊूँ श्री ववष्िवे नमः' मंत्र जप करते हुए गंगा जल से अमभषेक ककया करें। जल को ककसी रोग से पीड़ड़त व्यक्तत को ददया करें। रोग में आशातीत लाभ ददखलाई देने लगेगा।
4. भवन में जहाूँ तुलसा जी रखते हों वहाूँ एक शामलग्राम भी स्थावपत कर लें। सायंकाल ननत्य ववष्िु भगवान का
ध्यान करते हुए एक घी का दीपक वहाूँ जला ददया करें, सुख-समृवद्ध की वृवद्ध के आपके मागि प्रशस्त होने लगेंगे। साथ में शामलग्राम पर तुलसी जल चढ़ाना अत्यन्त शुभ मसद्ध होने लगेगा।
5. सोमवार के ददन अपनी पूजा में एक शामलग्राम स्थावपत कर लें। ननत्य 'ऊूँ नमः मशवाय' मंत्र का जाप करके ववग्रह को धूप, दीप तथा नैवेद्य अवपित ककया करें, दाररद्रय से हो रहे कष्िों से मुक्तत ममलने लगेगी।
6. शुतलपक्ष की द्वादशी के ददन अपनी पूजा में एक शामलग्राम स्थावपत कर लें। ननत्य मौलश्री, जुही, बेल, कनेर, गुलाब अथवा मालनी के पुष्प ववग्रह पर अवपित करके मंत्र 'ऊूँ श्री कराये नमः' का जप ककया करें, हर प्रकार से आपका कल्याि होगा।
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