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संतान गोपाल

मनासश्री गोपाल राजू
रूड़की (उत्तराखण्ड)
बाल गोपाल श्रीकृष्ण के बाल रूप को कहा जाता है। कृष्ण जी अपने बाल रूप में बेहद नटखट थे। हहन्दू धमम के अनुसार कृष्ण जी के बाल गोपाल स्वरूप को सवामधधक पूजनीय माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करना ननसंतान दंपत्त्तयों के ललए बेहद शुभ माना जाता है। संतान बाल गोपाल मंत्र एक ऐसा ही मंत्र है जो ननसंतान दंपत्त्तयों के ललए आशीवामद स्वरुप माना गया है। । मंत्र जाप के साथ-साथ अपने शयन कक्ष में श्रीकृष्ण की बाल रूप की प्रनतमा रक्खें । इस प्रनतमा की श्रद्धाभाव से पूजा करते हुए उन्हें लड्डू, माखन लमसरी का भोग लगायें । मान्यता है कक इस मंत्र का प्रनतहदन 108 जाप करने से जातक को संतान प्रात्तत अवश्य होती है |
मंत्र का प्रयोग
संतान प्रात्तत के इच्छुक दंपत्त्त ककसी भी रवववार प्रातः सूयोदय से पहले प्रातः नहाधोकर तन और मन से पववत्र हो जाएँ | पानी वाला एक खोपरा अथामत् गोला ले लें और ककसी ऐसे स्थान में चले जाएँ जहाँ से उगते हुए सूयमदेव के स्पष्ट दशमन हो सकें | पनत पत्नीं दोनों एक साथ सूयम को ककसी जल के पात्र से ‘ॐ श्री सूयम नारायणाय नमः’ का जप करते हुए अर्धयम दें | गोले को दोनों तोड़कर उसमें से बीज ननकालें | इसको प्रसाद स्वरूप महहला खा ले | गोले से ननकले जल से दोनों आचमन करें | तदन्तर में दोनों एक माला मंत्र की जप ककया करें |
जब महहला मंत्र जप करें तो गतः के स्थान पर गता बोलें, पुरुष गतः ही जपें |
जप मंत्र ॐ श्रीं ह्ीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोववन्द वासुदेव जगत्पते देहह मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।
संतान प्रात्तत के ललए कृष्ण जी के एक अन्य मंत्र । सवमधमामन् पररत्यज्य मामेकं शरणं वज्राअहं त्वा सवमपापेभ्यो मोक्षनयष्यालम मा शुच।।
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