मानश्री गोपाल राजू
सिविल लाइन्ि
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िामुद्रिक शास्त्र बताता है िटीक फलादेश
हमारे शरीर का प्रत्येक अंग बोलता है। व्यक्तत के हाि-भाि, उिका उठना-बैठना, बोलना, खाने, पीने, िोने का व्यिहार आद्रद यहााँ तक की सिर िे लेकर पैर के नाखून तक का प्रत्येक अंग उिके विषय में बहुत कुछ बताता है। ऐिा िामुद्रिक शास्त्र के अनेक शास्त्ित ग्रंथों में िर्णन समलता है। बि उन िब अंगों की भाषा पढ़ने और िमझने िाली योग्यता पाि होना चाद्रहए। भविष्य पुरार् में िमुि ऋवष का िर्णन समलता है। क्जिमें स्त्री और पुकेष के शारीअरक अंगो के लों र्ों िे उनके शुभ और अशुभ का फलाफल िमझा जाता है। िामुद्रिक शास्त्र की यह विद्या बहुत ही िरल और िुगम है।
ज्ञान के िाथ-िाथ उििे लोगों के शुभाशुभ लों र्ों के ितत् अध्ययन-मनन िे अल्प िमय में इिमें सिद्दहस्त्त बना जा िकता है। आइए िंक्षों प्त िे वििरर् में देखते हैं कक तया बोलते हैं शरीर के विसभन्न अंग। यद्रद िास्त्ति में विषयक शास्त्ित ज्ञान प्राप्त करना है तो विस्त्तृत ज्ञान के सलए भविष्य पुरार् के िाथ-िाथ िामुद्रिक शास्त्र के ग्रंथों का अध्ययन भी ककया जा िकता है।
बाल
बाल यद्रद इतने घने हों कक िह माथा तक भी ढक दें तो व्यक्तत बुवद्दहीन और मुखण प्रिृक्त्त का होता है। माथे पर कम बाल शुभ है। क्जतना अधिक माथा चौड़ा होगा व्यक्तत उतना ही अधिक भाग्यशाली होगा। केखे और उलझे िे बाल , िुअर की तरह मोटे और िीिे खड़े बाल व्यक्तत को व्यिहार कुशल नहीं बनाते।
घुंघराले बाल लसलत कलाओं के प्रतत प्रेम दशाणते हैं। जो व्यक्तत अपने बालों के प्रतत अत्यन्त ितणक होते हैं। हर िमय कंघी करके उनको िंिारते रहते हैं। िह व्यक्तत हरफन मौला होते हैं। उनके बारे में कहा जा िकता है 'जैक ऑफ आल, मास्त्टर ऑफ नन'। कमान की तरह भौिों के िुन्दर बाल, बीच
में हल्की िी बाल की लक़ीर िे जुड़ी भौिें, भौिों में कम परन्तु िुन्दरता िे व्यिक्स्त्थत बाल भाग्यशाली होने का लों र् हैं। इिके विपरीत अत्यन्त घनी भौिें बीच में घने बालों िे जुड़ी भौिें दुभाणग्य देती हैं
नेर
शहद के िमान वपंगल िर्ण के नेर िाले िनिान होते हैं। कमल के िमान िुन्दर नेर व्यक्तत को भाग्यशाली बनाते हैं। गोरोचन, गुजां और हरताल के िमान नेर िाले स्त्री और पुकेष बल, िन और ज्ञान में श्रेष्ठ होते हैं। क्जनके नेर व्याध्र के िमान होते हैं। िह बहुत ही झगडालू प्रिृक्त्त के होते हैं। बात-बात पर क्रोि में भर जाते हैं। केकड़े और बबल्ली के िमान नेर िाले बहुत ही कृपर् स्त्िभाि के होते हैं। ऐिे लोगों पर बबल्कुल भी विश्िाि नहीं ककया जा िकता है। बादाम के िदृष्य नेरों िाले लोग अत्यन्त मिुर एंि व्यिहार कुशल होते हैं।
नाक
तोते के जैिी नाक िाले िनिान होते हैं। क्जनकी नाक बड़ी होती है िह भोगी होते हैं। बबल्कुल िीिी नाक िाले िमाणत्मा होते हैं। क्जनकी नाक कुछ टेढ़ी होती है िह कृपर्
और चोर प्रिृक्त्त के होते हैं। बहुत बड़ी अथिा बहुत छोटी नाक िाले तनिणन होते हैं। चपटी नाक िाले विनोदी स्त्िभाि के होते हैं।
कान
छोटे कान िाले भीके और कृपर् होते हैं। बड़े कान िाले िनी होते हैं। लम्बे और मांिल कान िाले जीिन में िुख भोगेते हैं। क्जनके कान में ऊपर हल्के रोये होते हैं िह दीघाणयु होते हैं। चपटे कान िाले अिमय में मृत्यु का सशकार होते हैं। चूहे जैिे कान िाले विद्िान होते हैं।
होंठ
होंठ कुल दो भागों का नाम हैं। ऊपर िाले भाग को होंठ तनचले भाग को अिर कहते हैं। धचकने, मुलायन और कांततयुतत होंठ िनिान और िुखी जीिन का प्रतीक होते हैं। ऊपर का होंठ यद्रद कटा, केखा या भा हो तो व्यक्तत दअरि होता है। ऊपर का बहुत छोटा होंठ दअरि बनाता है। मोटे होंठ िाले तनष्कपट होते हैं। होंठ और अिर हल्के िे खुले हों क्जििे कक व्यक्तत का ऊपरी मिूढ़ा द्रदखाई दे तो व्यक्तत स्त्िाथी होता है।
दांत
िुन्दर, स्त्िच्छ तथा एकिार दंत पंक्तत िुखी बनाती है। यद्रद दांत बड़े होकर बाहर की तनकले हों तो व्यक्तत बुवद्दमान होता है। ऊपर के िामने िाले दो दांतो के मध्य हल्का िा छेंद हो तो व्यक्तत भाग्यशाली होता है। चूहे के िमान दांत भी व्यक्तत को भाग्यशाली बनाते हैं। बन्दर के िमान दांत अशुभ होते हैं। यद्रद मुंह में 32 दांत हैं तो भाग्यिान होता है और उिकी कही अनेक बाते ित्य हो जाती हैं। 31 दांत िाला भोगी होता है। यद्रद कुल 29 दांत हैं तो यह दुःखी जीिन का िंकेत है। 28 दांत िाला व्यक्तत िुख भोगता है।
गदणन
चपटी गदणन िाले व्यक्तत दअरि होते हैं। यद्रद भैंि के िमान मोटी गदणन हो तो व्यक्तत बलिान होता है। गदणन में तीन रेखाएं पड़ती हों तो यह भाग्य का िूचक है। बहुत छोटी गदणन िाले िूतण, अविश्िािी, स्त्िाथी परन्तु िाहिी होते हैं । लम्बी गदणन िाले भीके प्रिृक्त्त के होते हैं। यद्रद गदणन बहुत अधिक लम्बी है तो यह भोगी स्त्िभाि का बनाती है।
हाथ अथाणत् भुजा
घुटनों तक के लम्बे हाथ व्यक्तत को शूरिीर तथा ऐश्ियणिान बनाते हैं। अत्यधिक निों िाले हाथ दअरिता का
धचन्ह है। क्जनकी दोनों भुजाएं िमान नहीं होतीं िह चोर स्त्िभाि के होते हैं। बहुत छोटी भुजा िाले हीन भािना िे ग्रसित होते हैं। चलते िमय हाथों को आगे और पीछे दूर तक द्रहलाते हैं तो िह मस्त्त प्रिृक्त्त के होते हैं। क्जनके हाथ आगे अधिक और पीछे की ओर कम द्रहलते हैं िह िदैि आगे ही आगे बढ़ना चाहते हैं। बहुत ही अधिक महत्त्िाकांों ी होते हैं िह।
लम्बा कद
लम्बे कद िाले व्यक्तत अवििेकी होते हैं। ऐिे लोगों को अंहिादी कहा जा िकता हैं। परन्तु यह चुनौती के सलए िदैि तैयार रहते हैं। भोग-विलाि में इनका मन अधिक लगता है।
छोटा कद
ऐिे व्यक्तत उदार नहीं होते। इनको स्त्िाथी कहा जा िकता हैं। अपना कायण हो तो यह ककिी भी िीमा को पार कर िकते हैं। अपनी स्त्िाथण की पूततण के सलए यह िदा कमणशील भी रहते हैं। इनके मन में कुछ होता है और बोली में कुछ और। ऐिे व्यक्ततयों के मन का भेद पाना कद्रठन होता है।
िामान्य कद
ऐिे व्यक्तत आिश्यकता िे अधिक ितकण होते हैं। उदार
मन के िाथ-िाथ पअरश्रम वप्रय होते हैं। यह वििेकी कहे जा िकते हैं।
िों अथाणत् छाती
िमतल छाती िाले िनिान होते हैं। यद्रद छाती मोटी और पुष्ट हो तो ऐिे व्यक्तत िीर होते हैं। चौड़ी, उन्नत, कठोर छाती व्यक्तत के शुभ लों र् प्रकट करती है। छाती के बाल शुभ माने गए हैं। यद्रद यह ऊपर की ओर बढ़ रहे हों तो यह बहादुरी का लों र् है। यद्रद िीने पर बाल न हो तो व्यक्तत भीके प्रिृक्त्त का होता है।
उदर अथाणत् पेट
मेढ़क और द्रहरन जैिे पेट िाला व्यक्तत िनिान होता है। मोर जैिे पेट िाला व्यक्तत बलिान होता है और ऐश्ियण भोग करता है। क्जनका पेट घड़े के िमान होता है िह खाने-पीने का अत्यन्त प्रेमी होता है। बहुत ही पतले पेट का व्यक्तत पाप कमण में सलप्त होता है। पेट में यद्रद बल पड़ते है तो यह शुभ लों र् है।
पैर
कोमल, मांिल, रततिर्ण, पिीने िे रद्रहत तथा निों िे व्याप्त न होने िाले पैर भाग्यशाली बनाते हैं। पैर यद्रद
िामान्य िे बड़ा है तो िह मूखणता और बुवद्दहीनता का लों र् है। क्जनके पैर िूप के िमान फैले होते हैं िह दअरि, अनपढ़ तथा दुःखी होता है। पैर का अंगूठा यद्रद मोटा है तो यह दुभाणग्य देता है। यद्रद पैर की तजणनी उाँगली अंगूठे िे बड़ी हो तो िह स्त्री िुख भोगता है। यद्रद पैर की कतनक्ष्ठका उंगली बड़ी है तो यह िनिान बनाती है। उंगसलयों के नाखून यद्रद रुों और श्िेत हों तो यह दुःखी जीिन का िंकेत करते हैं।
यह ध्यान रखें कक, यह लेख पूर्ण कदावप् नहीं है। िामुद्रिक शास्त्र एक िृहत्त ज्ञान का भण्डार है और इनके ग्रंथ अथाह िागर। विषय का क्जतना भी िर्णन कर द्रदया जाए िह उतना ही कम है। बि यह िमझ लीक्जए कक व्यक्तत के शरीर का हर अंग, उिकी बनािट, उि पर उपक्स्त्थत धचन्् जैिे ततल, मस्त्िे आद्रद िब कुछ बताने में िों म हैं। उि भाषा को पअरभावषत करने का एक बहुत ही अल्प िा प्रयाि है यह लेख।