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नज़र

मानसश्री गोपाल राजू (वैज्ञाननक)
रूड़की - 247667 (उत्तराखण्ड)
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नज़र लग गयी, नज़र लगना, नज़र दोष, पत्थर फोड़ नज़र, नज़र का असर, नज़र दोष के कारण बीमारी, नज़र दोष के कारण उन्ननत अवरुद्ध, नज़र दोष के कारण सुख-समृद्धद्ध का पलायन, नज़र दोष के कारण व्यापार बंद हो गया, नज़र दोष से घर-पररवार त्रस्त है - ऐसे अथवा नज़र दोष से ममलते-जुलते अन्य अनेकों शब्द आपके कानों में अवश्य आते होंगे। क्या नज़र वास्तव में लगती हैं? क्या नज़र दोष होता है ? क्या नज़र दोष से
घर-पररवार नष्ट होने लगते है? क्या उन्ननत में ननरन्तर बाधाएं आने लगती हैं? क्या नज़र दोष असाध्य रोगों का कारण बन जाता है ? ऐसे अनेकों प्रश्न भी अवश्य ही उठते होंगे सबके मन में।
क्या यह सब सत्य है, मन का वहम है अथवा अंधद्धवश्वास ? जो कुछ भी सार-सत है इस द्धवषय के पीछे, वह एक अलग द्धवषय है। परन्तु यह सत्य है कक अच्छे-अच्छे बौद्धद्धक वगग, द्धवषय को न मानने वाले नास्स्तक और यहााँ तक अनेक धमागवलस्बबयों को नज़र दोष के भय से पीड़ड़त होते देखा गया है और नहीं तो कम से कम वह भयभीत अवश्य हैं ककसी अज्ञात भय के कारण।
नजर ककसको लगती है
यह तो सत्य है कक कमजोर मानमसकता वाले व्यस्क्त को इस प्रकार की अनहोनी बातें कहीं न कहीं अवश्य सताती हैं। अनेकों अच्छे-भले खेलते-खाते बच्चों को अकारण रोगी होते, ददग-पीड़ा से छटपटाते अथवा अज्ञात भय से भयभीत होते अवश्य देखा जाता है। अच्छी
भली अनेक महहलाओं को कहते सुना होगा कक आज श्रृगांर करके ननकली थी और अमुक की नज़र लग गयी फलस्वरूप मसर ददग अथवा अन्य कष्ट से पीड़ड़त हैं तब से। अच्छा भला कारोबार चल रहा था, अकस्मात् ककसी की नज़र लग गयी और सब व्यवसाय चौपट हो गया।
अधधकांशतः महहलाओं और बच्चों को नज़र दोष से पीड़ड़त होते देखा जाता है। महहलाओं को तीन स्स्थनतयों में सवागधधक नज़र दोष का प्रकोप होता है। एक तो जब वह द्धववाह के समय श्रृंगार ककए हुए शादी के जोड़े में होती हैं। दूसरे जब वह गभगवती होती हैं और तीसरे बच्चा होने के बाद के कुछ हदनों में, द्धवशेषकर जब तक दूध मुहा बच्चा दुग्धपान करता है। पीड़ड़त स्स्थनतयों में तीन बातों का भ्रम बना रहता है, इसमलए यह समझना कहठन हो जाता है कक पीड़ड़त करने के पीछे कौन से कारक भूममका ननभा रहे हैं। क्योंकक तीनों ही स्स्थनतयों में पीड़ड़ता की स्स्थनत लगभग एक सी ही रहती है। पीड़ा का कम अथवा अधधक होना तो ननभगर करता है व्यस्क्त की मानमसकता और इच्छाश्शस्क्त पर। तीन कारणों में एक में
अधधकांशतः कह हदया जाता है कक ककसी ने 'कुछ' कर हदया । दूसरे में कहा जाता है कक ककसी दुष्टआत्मा का प्रभाव है और तीसरा तो नज़र दोश है ही।
जन्मपत्री में स्जनके राहु और चन्रमा दोषपूणग होते हैं तथा जो मानमसक रूप से अपररवक्व होते हैं अथवा स्जनमें इच्छा शास्क्त की कमी होती है, प्रायः उनको नज़र पीड़ा सताती है, ऐसा देखा गया है।
लक्षण क्या हैं नज़र दोष के
आलस्य, मसर ददग, ककसी कायग में मन न लगना, हर समय शरीर बबना ककसी रोग के रोगी की तरह हदखना। मन अशान्त रहना। प्रसन्नता, हषग, उल्लास और उत्साह का पलायन हो जाना। सबसे बड़ा लक्षण है आाँखों में सदा भारीपन बना रहना और पररणामस्वरूप उनका सूज जाना। नज़र लगे बच्चे, महहला अथवा ककसी इंसान की मात्र आाँखे देख कर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कक वह नज़र दोष से पीड़ड़त है।
भवन, कायग स्थल, दुकान आहद के साथ-साथ घर के जीव-जन्तु और यहााँ तक कक वनस्पनत तक पर नज़र दोष
का दुष्प्रभाव पड़ता है। ककसी एक्वेररयम में मछमलयों का मरना, घर की फुलवारी के फल-पौधों का अकस्मात् सूख जाना, घर के पालतू जानवरों का बीमार हो जाना आहद नज़र दोष के सामान्य से लक्षण हैं।
नज़र दोष का ताककगक आधार क्या है
हमारा शरीर असंख्य रोम कूपों से बना है। यह रोमकूप शरीर के बेकार और द्धवषैले पदाथग को शरीर से बाहर ननकालने का कायग करते हैं। ककन्हीं कारणों से यहद यह नछर बन्द हो जाते हैं तो शरीर में प्राकृनतक वायु, सदी अथवा गमी का आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। आन्तररक और वाह्य तापमान का इससे सामनजस्य बबगड़ जाता है अथवा कहें कक पंच तत्वों का संतुलन बबगड़ जाता है इससे शरीर में लोह तत्व की अधधकता होने लगती है। रोमनछर तो क्योंकक बन्द होते हैं इसमलए द्धवषैले तत्व का ननष्काशन शरीर के अन्य भागों से, द्धवशेषकर सबसे नाज़ुक अंग आाँख के द्वारा होने लगता है। पररणाम स्वरूप आखों की पलके भारी होने लगती हैं, लाल हो जाती है अथवा उनमें सूजन आने लगती है।
छोटे बच्चे अकस्मात् बीमार हो जाते हैं। खाना-पीना छोड़ देते हैं। रात-रात तक न सोते हैं न ही ककसी को सोने देते हैं। रो रो कर बुरा हाल कर देते हैं। अच्छे से अच्छी धचककत्सा के बाद भी कोई प्रभाव बच्चे के स्वास््य पर नहीं पड़ता है। उस समय न मानने वाला भी हारकर मानने लगता है कक बच्चे को नज़र लगी है।
नज़र दोष उपाय का मसद्धांत
पदाथग तंत्र में अगर जाएंगे तो इस बात की प्रमाणणकता सामने आ जाएगी कक प्रत्येक प्रदाथग में अपनी एक ग्राह्य शस्क्त होती है और प्रत्येक पदाथग से हर पल द्धवकरण होता रहता है। यह अनवरत वैज्ञाननक प्रककया है। कुछ पदाथग जैसे नींबू, नमक, तेल, कफटकरी, लहसुन, मोर के पंख, सरसों का तेल आहद ऐसे हैं स्जनमें नज़र दोष को न्यून करने का प्राकृनतक गुण-धमग द्धवद्यमान है। इसीमलए नज़र उतारने के मलए इनका प्रयोग अधधकांशतः ककया जाता है।
नज़र दोष के सरलतम उपाय
अगर कहीं लगता है कक कष्टों के पीछे नज़र दोष
कारण है और दवा आहद करके आप थककर त्रस्त हो चुके हैं तब पूरी आस्था से ननबन कुछ उपाय अवश्य अपना करे देखें। क्या पता ककस उपाय से आपको कहााँ लाभ ममल जाएं।
1. राबत्र सोने से पूवग नज़र दोष से पीड़ड़त बच्चा, महहला, पुरूष जो कोई भी है लेट जाए। घर का कोई सदस्य, यहद वह घर का कोई बुजुगग हो तो बहुत अच्छा, अपना जूता पीड़ड़त के ऊपर से घड़ी की द्धवपरीत हदशा में मसर से पांव तक 5, 7, 11 अथवा अधधक बार द्धवषम संख्या में उतार कर कमरे से बाहर जोर से फेक दे। अपने हाथ-पैर धोले और ननःशब्द सोने चला जाए।
2. पीड़ड़त यहद छोटा दूध पीता बच्चा है तो उसके गले में कुछ लहसुन की ताजी कमलयााँ एक धागे में माला की तरह द्धपरोकर उसके गले में धारण करवा दीस्जए, बच्चे पर नज़र दोष का दुष्प्रभाव नहीं होगा । जब लगे कक कमलयााँ सूखने लगें तो उनको ताज़ी से बदल हदया ककस्जए।
3. एक बबना दाग का एक नींबू लीस्जए । पीड़ड़त व्यस्क्त के ऊपर उससे उतारा कररए अथागत् घड़ी की सुइयों की
घूमती हदशा में उसके ऊपर से धीरे-धीरे द्धवषम संख्या में मसर से पांव तक घुमाइए। तीन द्धपन, एक ऊपर, एक बीच में तथा एक नीचे चुभाकर उसको घर में कहीं रख दीस्जए। जैसे-जैसे नींबू सूखेगा। नज़र दोष का दुष्प्रभाव न्यून होने लगेगा। कुछ हदन बाद नींबू को ककसी चौराहे पर फेंक कर ननःशब्द लौट आइए। यहद प्रभाव में कहीं न्यूनता लगे तो उपाय पुनः दोहरा दीस्जए।
4. जो लोग प्रभू में आस्थावान हैं। स्जनके घर में ननयममत पूजा-पाठ, आरती आहद होती, वहााँ नज़र दोष का प्रभाव तो कभी होता ही नहीं है। बस मन में आस्था अवश्य होना चाहहए । हनुमान जी का ककसी भी रूप से ध्यान, आराधना, पूजा, पाठ, जप आहद घर में यहद गूगुल की धूनी के साथ ननयममत रूप से ककया जाता है, तो वहााँ नज़र दोष का दुष्प्रभाव होगा ही नहीं। पंच मुखी हनुमान जी पंच तत्वों का कारक कहे गए हैं। इन पंच तत्वों में ही अण्ड-द्धपण्ड का मसद्धांत नछपा है। पंच मुखी हनुमान जी का कोई धचत्र भवन, दुकान, घर आहद में कहीं ऐसे स्थान पर लगा लें जहााँ से आते-जाते उनके दशगन होते रहें। जब पंच
तत्वों की शरीर और वातावरण से सन्तुलन बना रहेगा तो नज़र दोष का दुष्प्रभाव तो कभी सताएगा ही नहीं ।
5. घर का राबत्र का खाना मसमट जाने के बाद चांदी की कटोरी में दो लौंग तथा दो कपूर की हटक्की जला हदया कीस्जए नज़र दोष के कारण यहद घर की उन्ननत प्रभाद्धवत हुई है तो वह धीरे-धीरे दूर होने लगेगी।
6. बच्चा यहद नज़र दोष से पीड़ड़त है तो उसकी लबबाई के सात कच्चे सूत लेकर सरसों के तेल में अच्छे से मभगोकर तर कर लें। बच्चे के सामने उसको धचमटे, द्धपन से अथवा कील से पकड़ कर दीवार पर टांग दें। उसके नीचे जल से भरा एक पात्र रख दें। धागे में आग लगा दें और उसका जला भाग जल में टपकने दें। बच्चे से कहें कक एक टक वह यह किया देखता रहे । धागा पूरी तरह से जल जाए तो पात्र का पानी घर से बाहर ककसी पेड़ की जड़ में छोड़ दें।
7. यहद रत्नों में द्धवश्वास है तो पीड़ड़त के गले में ज़बरजद अथागत् पैरीडोंट नामक रत्न धारण करवा दें।
8. अमावस्या के हदन एक पीले रंग के कपड़े में साबुत
नमक तथा नागकेसर रखकर पोटली बना लें। और यह घर में कहीं सुरक्षक्षत रख लें। कुछ हदनों बाद अमावस्या को ही नए से यह पुनः बदल हदया करें। भवन, घर, दुकान, कायागलय आहद यहद नज़र दोष से प्रभाद्धवत हुआ है तो वह पुनः ठीक होने लगेगा।
9. दुकान, कायग स्थल आहद में नींबू तथा ममचग लटकाते हुए प्रायः देखा जाता है। इसको यहद अधधक प्रभावशाली बनाना है तो पहले एक टीन, गत्ते अथवा अन्य का छोटा सा स्वास्स्तक काट लें, उसपर आटे से नागकेसर के कुछ दाने धचपका दें। कफर इसके ऊपर िमशः एक नींबू तथा पांच या सात डण्डी सहहत हरी ममचग पीरों लें।
10. एक वृक्ष का काला गोल सा एक फल होता है । इसका नाम ही नज़रबट्टू होता है, यह पीड़ड़त के गले में धारण करवा दें।
11. दो लौंग, दो कपूर की हटक्की तथा थोड़ा सा कफटकरी का टुकड़ा लेकर नज़र दोष से पीड़ड़त के ऊपर से यह घड़ी की द्धवपरीत हदशा में मसर से पैर तक उतारा करें और घर से बाहर जाकर जला दें। बची राख को अपने पैरों से मसल
दें। मन में भावना जगाएं कक बुरी नज़र को अपने पैरों से मसल कर नष्ट कर रहे हैं।
12. छोटा बच्चा, द्धवशेषरूप से नवजात मशशु नज़र दोष से पीड़ड़त है, सोते में चौककर रोने लगता है। तो ऐसे में श्वेताकग की जड़ मुंगा, कफटकरी लहसुन, मोर का पंख सब एक कपड़े में मसलकर बच्चे के कमर अथवा गले में धारण करवा दें। नज़र दोष के मलए यह एक बहुत ही प्रभावशाली नज़रबट्टू मसद्ध होगा।
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