गोपाल राजू की पुस्तक 'तंत्र के सरल उपाय का सार-संक्षेप'
मानसश्री गोपाल राजू
ससविल लाइन्स
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पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अमृत प्राप्तत के सलए देिताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन का कायय ककया गया तब उसमें से प्रातत चौदह रत्नों में से एक रत्न कल्प िृक्ष ¼Kalpvriksh½ भी था। यह देिराज इन्द्र को दे ददया गया और उन्होंने उसको सुरकानन िन में अथायत् आज दहमालय के कहीं उत्तरी भाग में स्थावपत कर ददया।
पद्मपुराि में देखें तो पता चलता है कक पाररजात नामक िृक्ष िस्तुतः कल्प वृक्ष िृक् ही है। इस िृक्ष को अडनसोननया (Adansonia)और बाओबाब (Baobab) नामों से व्यापक रूप से जाना जाता है। Bombacaceae पररिार का यह िृक्ष गजबाला, गोरक्षी, गोपाली, सपंदी, गंधबहुला, गोरख अमली, कल्पदेि आदद नामों से भी जाना जाता है। ददव्य गुिों को अपने में समादहत ककये होने के कारि इस िृक्ष को इच्छापूनतय करने िाला िृक्ष (Wish Fulfilling Tree) भी कहते हैं। तंत्र शास्त्रों में कल्प िृक्ष को लेकर अनेकों मान्यताएँ हैं। पाठकों के लाभाथय कुछ सरल प्रयोग प्रस्तुत कर रहा हूँ-
1. कल्पिृक्ष के नीचे बैठकर कोई भी साधना करते हैं, तो िह बहुत जल्दी फलीभूत होगी।
2. ऐसे ही कुछ समय के सलए कल्पिृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान कर सलया करें, मानससक शाप्न्त के सलए यह बहुत प्रभािशाली ससद्ध होगा।
3. िृक्ष का एक पत्ता 'ह्री' बीज अंककत करके अपनी पूजा में स्थावपत कर सलया करें, यह बहुत ही सौभाग्यशाली
ससद्ध होगा।
4. कोई भी अगूंठी, कड़ा, छल्ला आदद धारि करने से पूिय उसे कुछ समय के सलए िृक्ष की जड़ में दबा ददया करें, उसका प्रभाि कई गुना बढ़ जाएगा।
5. ब्रह्ममुहूतय में दीन-हीन बनकर अपनी इच्छापूनतय की प्राथयना वृक्ष के नीचे बैठकर कर सलया करें, आपका कायय अिश्य ही ससद्ध हो जाएगा।
6. ककसी कमय का प्रायप्श्चत करना है तो िृक्ष की प्रदक्षक्षिा करते हुए क्षमायाचना मन ही मन करके िृक्ष में जल छोड़ ददया करें।
7. सौभाग्य से प्जस घर या प्रनतष्ठान में कल्पिृक्ष होगा, िहाँ सभी कायय ननवियघ्न रूप से सम्पन्न होंगे।
8. कल्पिृक्ष की मूल शुभ मुहूतय में विधधनुसार ननमंत्रि देकर घर ले आएँ, यथाभाि पूजा अचयना के बाद उसे विराजमान कर लें। ननत्य गूगुल की धूनी ददखाया करें। आिश्यक कायय हो अथिा कहीं ककसी अन्य कायय विशेष के सलए जाना हो तो यह मूल साथ लें जाया करें, आपका कायय अिश्य ससद्ध होगा।
9. कल्पिृक्ष के फल को सुखाकर रख लें। शुभ मुहूतय में अष्टगंध का लेप करके, इस पर चांदी का पत्रा चढ़िा लें और अपनी पूजा में स्थावपत कर लें। घर, पररिार अथिा व्यापार के सलए यह बहुत शुभ ससद्ध होगा।
10. कल्पिृक्ष की लकड़ी से यंत्र लेखन के सलए कलम बनाएँ, यंत्र का प्रभाि कई गुना बढ़ जाएगा।
11. सौभाग्य से कल्पिृक्ष का बांदा समल जाए तो शुभ मुहूतय में पूिय ननमंत्रि देकर िह घर ले आएँ और यथाभाि पूजा करके अपनी पूजा में विराजमान कर लें। ननत्य कल्प बांदा का 'ऊँ सियसुख कराय अकाल मृत्यु हराय' मंत्र जपकर धूप-दीप ददखाकर पूजा ककया करें। आपका कोई भी कायय असाध्य नहीं रहेगा। उत्तम स्िास््य के साथ आप अनेकानेक सुखों का भोग करेंगे।
मानसश्री गोपाल राजू