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इन्द्रजाल

गोपाल राजू की पुस्तक 'तंत्र के सरल उपाय का सार-संक्षेप'
इन्द्रजाल नाम से अधिकांशतः भ्रम होता है एक वृहत्त ग्रंथ का जो अनेकों प्रकाशकों द्वारा भिन्द्न-भिन्द्न रंग-रूप में प्रकाभशत होता आ रहा है। यह ग्रंथ और कुछ नह ं मंत्र, यंत्र तथा तंत्राहह, टोने-टोटके, शाबर मंत्र, स्वरशास्त्र आहि गुह्य ववषयों का खिचड़ी रूपी संग्रह है। परन्द्तु इन्द्रजाल वस्तुतः एक वनस्पतत है। यह कुछ-कुछ मोर पंि झाड़ी के पत्ते से भमलती-जुलती है। यह परस्पर उलझी हुई एक जाल सी प्रतीत होती है। िूत-प्रेत, जािू-टोने, िुषआत्माओं के िुष्प्प्रिाव को िूर करने आहि में इसका व्यापक प्रयोग ककया जाता है। यहि इसको भसद्ध कर भलया जाए तो वाणी के प्रिाव से अनेक कायों में सफलता प्राप्त करने तथा िववष्प्य की घटनाओं की
िववष्प्य वाणी करने की हिव्य शक्तत तक इसके प्रयोग से प्राप्त की जा सकती है। इन्द्रजाल की एक पूर टहनी अपने कायय अथवा तनवास स्थल पर लगा लेने से वहााँ कोई िी अदृष्प्ट िुष्प्प्रिाव हातन नह ं पहुाँचा पाता। एक प्रकार से इन्द्रजाल एक सुरक्षा कवच का कायय करता है। इसको अच्छा प्रिाव प्राप्त करने के साथ-साथ यहि सुन्द्िरता से अलंकरण कर भलया जाए तो सजावट के रूप में िी प्रयोग ककया जा सकता है। इसकी स्थापना के भलए शुि हिन मंगल और शतनवार है। यहि यह मंगल और शतन की होरा में उपयोग की जाए तो और िी शुित्व का प्रतीक भसद्ध हो सकती है।
इन्द्रजाल तंत्र
1. इन्द्रजाल को ताबीज़ में यत्न से िरकर बच्चों के गले में िारण करवा िें, बुर नज़र से बच्चे की सिैव रक्षा होगी।
2. पढ़ाई करने वाले बच्चे बुकमाकय की तरह इसका उपयोग अपनी पुस्तकों में करें, उनकी पढ़ाई के प्रतत रूधच बढ़ने लगें।
3. गियवती महहला को यहि एक काले कपड़े में बन्द्ि करके इन्द्रजाल िारण करवा हिया जाए तो यह सुरक्षक्षत गिय के भलए बहुत उपयोगी भसद्ध होगा।
4. मंगलवार के हिन मााँ िूगाय का ध्यान करके इन्द्रजाल को पीसकर पाउडर बना लें। यहि शत्रु के ऊपर ककसी तरह अथवा उसके िवन में यह पाउडर तछड़क हिया जाएगा तो उसके शत्रुवत व्यवहार में आशातीत पररवतयन होने लगेगा।
5. संतान सुि की इच्छा रिने वाले पती-पत्नी इन्द्रजाल को ताबीज़ की तरह िारण करके तनत्य कम से कम तीन माला मंत्र, 'ऊाँ कृष्प्णाय िामोिराय िीमहह तन्द्नो ववष्प्णु प्रयोियात्' की जप ककया करें।
6. िवन के वास्तु जतनत कैसे िी िोष के भलए, बद्नज़र तथा िुष्प्टआत्माओं से रक्षा के भलए इन्द्रजाल को स्थावपत कर लें।
7. शुक्रवार के हिन शुि मुहूतय में एक इन्द्रजाल िवन में ककसी ऐसे स्थान पर स्थावपत कर लें जहााँ से आते-जाते वह हििाई हिया करे। शुक्रवार को अपनी तनत्य की पूजा में मंत्र ''ऊाँ िुं िुगाययै नमः' जप कर भलया करें,
आपिा-ववपिा से घर की सिैव रक्षा होगी।
Gopal Raju
www.bestastrologer4u.blogspot.in
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